*🌹ॐ कर्माय नमः 🙏*
*जगत जननी माँ कर्मा देवी की जय 🤲*
*भोक्तारं यज्ञतपसां सर्वलोकमहेश्र्वरम् |*
*सुहृदं सर्वभूतानां ज्ञात्वा मां शान्तिमृच्छति || २९ ||*
*अनुबाद:-*
मुझे समस्त यज्ञों तथा तपस्याओं का परम भोक्ता, समस्त लोकों तथा देवताओं का परमेश्र्वर एवं समस्त जीवों का उपकारी एवं हितैषी जानकर मेरे भावनामृत से पूर्ण पुरुष भौतिक दुखों से शान्ति लाभ-करता है |
*अर्थात:- भगवान श्री कृष्ण द्वापर युग में अर्जुन को धर्म के लिए, युद्ध करने के लिए, प्रेरित कर रहे हैं। बोल रहे हैं आप छतरी योद्धा हो आपका यह कर्तव्य है आपका यह कर्म है। धर्म के लिए युद्ध करना आपका कर्त्तव्य हैं। फिर इस कलयुग में इस कलयुग के पावन अवतारी भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी अपने वचन से विनम्रता पूर्वक इस कलयुग में मनुष्य जीवन जीवन के लिए संदेश दे रहे हैं कि हे “जगत जननी मां कर्मा देवी” जो भी अपने सत्कर्म में रहकर कर्म करेगा, सत मार्ग में चलेगा, धर्म में रहेगा, उसी व्यक्ति का परम लक्ष्य, परम मुक्ति, परमधाम, परम गति प्राप्त होगा,,, यही सत्त है।*
*आचार्य :- संत उमेश दास जी महाराज*









